ऐसी कुश्बू भेशक मधुबन में भी ना मिले/
आपके बदन से जो महकी,
जीने बर्के हमारी हर सांस भी कुषीसे किले//
अक्सर जब हल्कीसी नारिश के बूंद नीचे टपक थे है/
ताब मेरे ये धोनो अंक भी उन्हें साथ देथे है,
सिर्फ तेरे तनहा याद में//
हमारे दरमियान आकिर है क्या?
क्या महफूज़ है अपनी बीच की मोहब्बत?/
शिकायत नहीं मुझे तुमसे,
चाहे आपस में.....कितनीभी हो दूरी//
26 February 2010
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