28 February 2010

वो लम्हा..

ज़िन्दगी सस्ती,
पर जीना महंगा हुवा सनम/
सिर्फ आप के यादोंमे कोए हुवे है,
अब थो बस धूर रहेने का है हमें गम//


इलज़ाम लगा हम पे इश्क के कतल का,
जस्बातों के गला गोटने का/
पर हम पे ये दाग लगाने वाले,
क्या तुम्हारी बेवाफायिने ....हमें मजबूर न कियाथा?//


मिली तसल्ली हमें,
जब सुना आप किसी और के बाहोंमे कुश करार है/
यहाँ गम बिकते नहीं!,
थोड़ी लेते हुवे रुखसत...हँसी के अंदाज़ में रोना ही आपने नसीब में बरकरार है//


कल का क्या पता?
कमजोर गाड़ी कोई हमें आस्माले/
पर ये थो है पक्का,
अगर पान्हा मिले अप्पके दिल में थो...इसी वक़्त हम कुशी से दम थोद्देंगे//


नरम रेशमी एहसास थे वो,
जब तुम्हारे करीब कदेठे हम...हलके से चुवेथे जो आप के सांस थे वो/
अब ये सब शायद दोहराना मुश्किल है,
हमारे लियेथो बेहद कास थे वो//

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