सोच में पड़े है,
दिल के अरमान सारे/
तुम को जो चुवाथा...
उन के नज़र के तीर सारे,
ताब हमने क्या कुछ कोअथा?
या पायाथा?//
ज़ालिम ये मोहब्बत,
चैन से जीने ना दे/
गुट गुट के मारे जुदायिके ग़म में,
गुत्नोमे कड़े हुवे....मेरे जैसे आशिक को बेवजा//
19 March 2010
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