कथा थो हमसे कुछ हुई न थी,
नजाने आपने हमको क्यों भुलादिया/
अकेले थो हम पहलेसे ही थे,
अचा हुवा आपने अहसास दिलादिया//
प्यार से बड़ा कोई धोका नहीं होता,
बे वाफी सेव बड़ा कोई तौफा नहीं होता/
कभी न तुक्रना सच्ची वफाई को,
क्यों की इस्ससे बड़ा कोई भरोसा नहीं होता//
बेहद तदापाताथा,
फिर भी अपना था वो जुदाई का ग़म/
आकिर वो भी कोखे हुवा जुदा,
टीक आप ही की ताराहा//
06 June 2010
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