मई बना दीवाना इस्तेफाक से,
अचानक जगा इश्क अन्हूनी भूक से/
ज़िंदगी के अनजान राहों में न आप हमें मिल थे,
हमारी सूकी मन की रेत में अरमान के फूल नही किलते//
मई बना दीवाना इस्तेफाक से,
अचानक जगा इश्क अन्हूनी भूक से/
ज़िंदगी के अनजान राहों में न आप हमें मिल थे,
हमारी सूकी मन की रेत में अरमान के फूल नही किलते//
No comments:
Post a Comment