15 January 2009

हकीकत....

करता हु कुछ थो हु आदत से मजबूर,

धाम बी तोड़ ने तैयार हु जो आप के कातिर/

इंतनी बेशर्मी कबी न थी,

चाहत का बीक मांगते आया में अब तुम्हारी महफिल//

No comments: