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maretha maathugalu
19 January 2009
जूती दर्पण..
कहते है के आईना कभी जूट नही बोलता,
पर मेरे दर्पण का हालात ऐसा क्यों है बाला/
जब बी हु मई उस में जाक्था,
थो मेरे मनहूस चहरे के बदले में आपका सू रथ ही क्यों ये धिकाथा?//
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